Tuesday, April 30, 2013

वगैरह वगैरह

हम नाचते, बजाते जब जी में आता 
उड़ भी आते 

एक दिन
नाचते 
बजाते 
धमाके हो गए 
हमारे नाम लिख गए 

पहले हिन्दू /मुसलमान वगैरह वगैरह 
फिर दगी गोली भूमिहार/ठाकुर /चमार वगैरह 
चिटपुटिया बजी एक रोज़ 
के अब तुम 
हिन्दुतानी पाकिस्तानी वगैरह वगैरह 
अब हर रोज़ 
एक दियासलाई जलती है 
हमें कभी आम, कभी ख़ास 
कभी वगैरह वगैरह करती है