डलहौजी के नक़्शे पे घोड़े दौड़े तो
वतन भूल गया भाई बंदी को
मोहब्बत की तरन्नुम डूब गयी अँधेरे में
उस रोज़
जब बाऊ जी के साथ मन्नू चा गए थे दिमागी चट्टी की सैर पर
हम इमरती की आस में
जोश-ए-बुलंदी के आसमान तक पहुँच गए
लौट के बाऊ जी ही आये
सुना मन्नू चा नहीं आये
एक नया मुल्क बन गया है
पुश्तैनी मुल्क में
महीनों बाद राहत मिली - ईदी के घाटे का दर्द से
की मन्नू चा हिन्दुस्तान के (अन्दर से) बाहर नहीं गए
ईदी मिलती रही बदस्तूर
इक रोज़
रमज़ान के महीने में
मन्नू चा को ख़ुदा ने तलब कर लिया
(ये ही बात बताई थी बाऊ जी ने)
रज्ज़ाक खां के बेटों ने सारी विरासत बाँट ली
हम सालों तक हर ईद पर
इस उम्मीद से बैठे रहे
के शायद उनमें से किसी ने
हमें तीन रुपये की ईदी देने की रस्म
अपने हिस्से में ली होगी
भरोसे का भरोसा
टूट ही गया
जब हम ईदी तो दूर
सिवैयों से महरूम हुए
बाउजी बुक्का फाड़
ज़ार ज़ार रोये
मुख्तार के भतीजे
आये थे घर के दरवाजे तक
कहते थे की आपके घर का दरवाजा
ताज़िया के रास्ते में आता है
सामने गुफरान मास्टर के नए बने घर के बुर्जों से कोई दिक्कत नहीं थी उन्हें
हमारा रज्जाक खां के जमाने का घर
अब कर्बला के रास्ते के बीच आने लगा है
वकील साहब (बाउजी)
जो लड़ गए थे मस्जिद की जमीं के लिए मुकद्दमे
कई किश्त आज दर्द से रो भी ना पते हैं
शायद
अकेले में हिन्दुओं के मोहल्ले में घर खोजने जाते हैं
पर हमारा दिल आज भी
बैठा है इस आस में
मन्नू चा की ईदी और
उनकी खुशबु की बास
मिलेगी कभी
बाउजी कहते हैं
जब राम जी बोलिहें ता परलोके भेंट होई
राम कसम
हम भी रोज कहते हैं
हे राम
मुझे भी परलोक बुला लो
6 comments:
this ....... the best one omu...miyan....maar hi daloge....rulake hi maroge kya ???
i shd have said rather one of the best one......please keep writing always janu don't ever stop. love u.
Good Job :)
Wah kya bat hai padhte hue lagta hai wo chhota baccha mai hi hu kyuki mai bhi ek aisi hi jagah paida hua tha jaha ka mahaul aisa tha
aapki abhi tak ki likhi hui me sabse accha aage ummede our bhi hain
Unbelivable... What a rythem on such touching subject matter......... Now I will certainly be looking for next one.
...bahut khub...
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