Tuesday, January 26, 2016

रोहित वेमुला: ६७वां गणतन्त्र दिवस


तेरी आवाज़
सूरज की तरह
आसमान का अन्धेरा काट देगी

तेरे गीत
परिन्दों की तरह
क्षितिज के पार तक जाएंगे
बिना किसी रोक के

मौसम बदलेंगे
साज़ मचलेंगे
और वेमुला की कहानी धुनों में सहेजकर
बचा लेंगे
आने वाली पीढ़ियों के लिये
वह विद्रोह की कविता
नया वेद है
इसे 
ख़ून, या 
ग़ुलामी की नहीं
विमर्श की की सिंचाई चाहिये

साज़ों से निकली धुन
तुम्हारे गीतों के साथ
मनुस्मृति दहन करेगी 
दूसरे किसी भी रोहित वेमुला को
महान गणतन्त्र के पंखे से लटकने नहीं देगी

No comments: