तो बात थी आत्मा की
जो की बीसवीं सदीं में
होर्डिंग्स के होड़ में
जूतों के जोड़ में
अंग वस्त्रों की गाँठ में
बन्दूक की नाल में
तबलों की ताल में
जवानी की अंगड़ाई में
सड़क पर उगी खाई में
दिन के अंधेरों में
और रात के उजालों में
उपलब्ध है - आपके शहर में
मेरी आत्मा - गच्च गच्च आत्मा
आपके शहर में
एक पर एक या फिर एक के साथ दो
या फिर किसी और के साथ
बिना किसी जज़्बात
दिन हो या रात
लुटने को
नहीं नहीं - लूटने को उपलब्ध है
मेरी आत्मा -- गच्च गच्च आत्मा
2 comments:
जय हो .. जय हो ..
Awesome!!
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