चैन तकिये पर रखा तो
विषधरों ने फन उठाये
क्यूँ लिखा?
कैसे लिखा?
किसके लिए इतना लिखा?
दौड़ता हूँ मुझमें मैं
श्वास और उच्छ्वास बनकर
मेरे जीवन क्रम पर क्यूँ उन्हें आश्चर्य इतना ?
"श्वासोच्छ्वास" तो तुम हो |
अच्छा!
हाँ |
और जो लेखनी की चाल का फलन?
"हम" हैं
और जो छूट गया लेखनी की पकड़ से?
अलिखित...
सच्चीदानन्द
और शब्द?
तुम्हारा स्पर्श
जीवन रस
लेकिन
"तुम" कोई शब्द नहीं हो
अर्थ भी नहीं हो |
एक लय
राग
छंद
सुबह
या कि मेरा होना
मेरे अकेलेपन का गीत
मेरा स्थायी पता
हर अँधेरा चुनौती देता है मुझे
क्या करूँ?
तुम्हारे दिए पर्स से
चाँद निकाल लूँ
छोड़ो
तुम ही आ जाओ
ये "तुम" क्या है?
मेरा होने कि हद
तो "हद" कितनी?
जितनी विस्मय की,
आनंद की
समाधि की... उससे भी आगे की
"तुम"
वो है जिसका शब्द नहीं है
इस दुनिया में
इस ब्रह्माण्ड के बाहर मिलना - शायद वहां मिले किसी आकाश गंगा में
किसी समाधि में
आज तो बस....
नि:शब्द
नितांत "हम"
कब तक?
जब तक की हम
उसके बाद तक भी
क्यूंकि तब "मैं" मिट जाऊँगा
6 comments:
well said, but use some light words for people like me... keep on going.
stuck again ......
all d bst
Ek lai,raag,shabd...subaha...beautiful
nayana
Laage rahooo Guru Kya Likhtee hoo sahi jaa rahee hoo ALL THE BEST
hey J,
U r the bestest...
Chak Chaka da Guru...
Beautiful jiju! I didn't know you write so well! Mesmerisingly beautiful!
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