इससे पहले
की इक दफा फिर से तुम मुझे दफ्न कर दो
अपनी बेबाक भूलने की आदत में
फिर मैं
बेमुरव्वत
मुसलस दौड़ता रहूँ
खुद को पाने की हसरत में
बदहवास, ता ज़िन्दगी
क़यामत तक
इससे पहले
कि फिर अँधेरा छा जाए
नूह कि कश्ती में सारा जहाँ सिमट जाए
नस्ल दर नस्ल के सपने हवा में खो जाएँ
मुझको इक बार खुद में खो जाने दो
तुम
बस रहना मेरी धमनियों में
कुछ वैसे ही जैसे कि मेरा खून
बस चुप चाप
बहना
बस रहना
गर्म खून सा बनके
मेरे अन्दर
बिना चिपके
और बिना अलग हुए
तुम्हारा भूलना
चिपकना
मुझे दफनाता है
भगाता है
तड़पाता है, क़यामत तक ...
नूह कि कश्ती तक भी
हाँ, ये खुदगर्जी है
तो क्या हुआ
हम भी कोई खुदा तो नहीं
की इक दफा फिर से तुम मुझे दफ्न कर दो
अपनी बेबाक भूलने की आदत में
फिर मैं
बेमुरव्वत
मुसलस दौड़ता रहूँ
खुद को पाने की हसरत में
बदहवास, ता ज़िन्दगी
क़यामत तक
इससे पहले
कि फिर अँधेरा छा जाए
नूह कि कश्ती में सारा जहाँ सिमट जाए
नस्ल दर नस्ल के सपने हवा में खो जाएँ
मुझको इक बार खुद में खो जाने दो
तुम
बस रहना मेरी धमनियों में
कुछ वैसे ही जैसे कि मेरा खून
बस चुप चाप
बहना
बस रहना
गर्म खून सा बनके
मेरे अन्दर
बिना चिपके
और बिना अलग हुए
तुम्हारा भूलना
चिपकना
मुझे दफनाता है
भगाता है
तड़पाता है, क़यामत तक ...
नूह कि कश्ती तक भी
हाँ, ये खुदगर्जी है
तो क्या हुआ
हम भी कोई खुदा तो नहीं
2 comments:
Too good Specifically last few lines are very meaningful
अरे यार जीजू आप इतना सुन्दर कैसे लिख लेते हैं मेरा मतलब आपकी प्रेरणा का स्रोत कौन है जरा बताइएगा ज़रूर..
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