मेरी खाँसी और तुम्हारा मुझे याद करना कब धुएँ के हर कश के साथ दोहरे होने लगे जैसे तुम्हारे ख़तों का आना उँगलियों में उँगलियों का होना या हाथों में सिमट जाना हाथ मेरा वजूद पिघल पिघल के गंगा के पानी सा सिर्फ हाथ में सिमटा... जो तुम्हारी हथेली के नीचे पर सूंस सा पलटता - उफनता मेरे वजूद को अब बस खाँसी आने पर पता चलता है कि तुम्हारे याद करने में ही बस कुछ बाकी है...