Sunday, September 5, 2010

धूल



बारिश ने ज़िन्दगी को दी थोड़ी सी हूल है

पर क्या होगा आदम वल्द खुदा का जब दिल में बस गयी सिर्फ धूल ही धूल है

हर एक मूंछ के बाल से, तहज़ीब की तलवार से, ताज्ज़ुर्बे की झुर्रियों से
जवानी के बल से, मतवाली की मुस्कान से, रत जग्गों के शोर से,
चहुँ दिस झरती जाती है
रोके से ना रुक पाती है
जाने किस मुए की जवानी है, जिसमें बचा नहीं थोड़ा भी पानी है

क्या बताऊँ भाई अब मिलते नहीं यहाँ मस्ती के फूल हैं
तभी तो इतनी मस्त बारिश के बाद भी पत्तियों पर धूल है
पुरन्दर का भी हौसला पस्त है
क्यूंकि घनघोर वृष्टि में भी कीचड़ साला पेड़ के ऊपर मस्त है

4 comments:

Bang on said...

likho to kuch aisa ki awaj padne wale ki rooh taak utre, aur sirji aise hi likhte raho.....
Great great sirji....

VISEN said...

superb bro.......................

Sandy said...

Gud going Om...!!!
Keep this going.........:) :)

abhishek said...

ye sabse acchee hai!!!
great!!!