Wednesday, January 29, 2014

कैसी है पहेली:

रेडियो पर विज्ञापन आ रहा है, किसी "कनक" आटे का
महिला आवाज़ कहती है कि
"मेरे पति की पसन्दीदा फूली रोटी मिनटों में, और मेरा फ़ेवरेट सीरियल भी नहीं छूटता"
जब से प्रचार सेवा है, कुछ बड़ा ही अजीब सा तरीक़ा दिखता है। हर बात के केन्द्र में अगर औरत है तो या तो वो अकारण वहाँ होती है, या गृहकार्य दक्षता की वकालत करती है, या फिर अबला होती है। अब आटो एक्सपो में देखियेगा, कार के माडल के साथ एक म...ाडल लड़की होगी। पान मसाला खाने / सिगरेट पीने वालों की मर्दाना प्रभाव में डूबती दिखती है, मोटर साइकिल के नए माडल चलाने वालों को पसन्द करती है। बहुत थोड़े से विज्ञापन हैं जो मसले और भावनाओं पर केन्द्रित हैं। वी आई पी चड्ढी पहना मर्द उसे गुण्डों से बचाता है।
ये है उपभोक्तावाद, कि माल ख़रीदने के आकर्षण के लिये एक औरत सामने कर दो। बताओ की अला फला ड्योडरेन्ट लगाओ और लड़कियों का चुम्बक बन जाओ।
तो नारी की आज़ादी की बात बेजा है। झुट्ठे लिबरल मर्द और समाज की बात होती रहती है|

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