यादों की दस्तकें बार बार सीने पे गिरती हैं
वक्त मुड़ मुड़ के घुस जाता है दिमाग की कोशिकाओं में
दिल हर बार ये तय कर लेता है कि
एक जिन्दगी में एक बार पैदा होना और एक बार मरना जरूरी नहीं होता
बार बार कि रट, दोबार पाने कि चाह
फिर से लौटूंगा
फिर खो जाऊँगा
मरने के लिए जिऊँगा
और जीने के लिए मर जाऊँगा
फिर लिख दूंगा
तमाम सदियाँ
लगाऊंगा नई आग
लिखूंगा नया इतिहास
दस्तकों को सुर नये सिखा दूंगा
3 comments:
ultimate bhaiiiiiiiiiii
Nice one Jiju!
Good piece of literature...Om !!
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