Saturday, May 14, 2011

यादों की दस्तकें बार बार सीने पे गिरती हैं
 वक्त मुड़ मुड़ के घुस जाता है दिमाग की कोशिकाओं में
 
दिल हर बार ये तय कर लेता है कि
एक जिन्दगी में एक बार पैदा होना और एक बार मरना जरूरी नहीं होता
 
बार बार कि रट, दोबार पाने कि चाह
 
फिर से लौटूंगा
फिर खो जाऊँगा
मरने के लिए जिऊँगा
और जीने के लिए मर जाऊँगा
 
फिर लिख दूंगा
तमाम सदियाँ
 
लगाऊंगा नई आग
लिखूंगा नया इतिहास
दस्तकों को सुर नये सिखा दूंगा

3 comments:

VISEN said...

ultimate bhaiiiiiiiiiii

Isha Pant said...

Nice one Jiju!

Kumar said...

Good piece of literature...Om !!